वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ससंघ का समवशरण जैन मंदिर से गमेर बाग आगमन हुआ। मुख्य ट्रस्टी शांतिलाल वेलावत दशा नागदा समाज ने अगवानी की।मंच संचालन पुष्कर जैन ने किया ।आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने बताया, समवशरण में मनुष्य देव और तिर्यंच गति के प्राणी भगवान की दिव्य देशना सुनते हैं। समवशरण में भगवान ने संसार के सभी प्राणियों के लिए उत्कृष्ट जीवन की देशना दी है आपने कई बार समवशरण में बैठकर प्रवचन सुना है, किंतु ग्रहण नहीं किया इस कारण संसार से मुक्त नहीं हुए ।आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने सूत्र बताया कि उत्कृष्ट धर्म- अहिंसा, संयम और तप का रूप है, जो इसे धारण करते हैं उसे देवता भी नमन करते हैं। प्रथमानुयोग के अनेक शास्त्रों में अनेकों उदाहरण है ।समवशरण में जो आता है उसे दुख नहीं होता, जो धर्म धारण करता है वह सुखी होता है भव्य जीवो को समवशरण में जीवन उत्थान के लिए दिव्य ध्वनि सुनने को मिलती है। समवशरण को भूलना नहीं उसे हृदय में धारण करना चाहिए। उदयपुर में गुलाब बाग एवं अनेक बाग में आप मॉर्निंग वॉक करते हैं ठीक इसी प्रकार आप संसार में भी भ्रमण रूपी वॉक कर रहे हैं, जब तक आप अहिंसा से संयम को धारण कर तप करेंगे तभी तप से मुक्ति मिलेगी। तप 12 प्रकार का है स्वाध्याय, उपवास, ध्यान से कर्म नष्ट होते हैं। उदयपुर का आशय आपका उदय हो शाश्वत सुख मिले ।जो दिव्य ध्वनि मिले उसे ह्रदय की तिजोरी में बंद करें।
उदयपुर में विद्यालय बनाने की योजना है विद्यालय में लौकिक शिक्षा के साथ धार्मिक संस्कारों की शिक्षा भी दी जाए जो देश के लिए एक आदर्श विद्यालय साबित हो । जीवन में धर्म रूपी पुरुषार्थ से भावी पीढ़ी के जीवन को संस्कारित करने का प्रयास करने का मंगल आशीर्वाद आचार्य श्री ने दिया। मंगलाचरण अजय पंचोलिया सनावद ने किया।पाद प्रक्षालन का सौभाग्य वेलावत परिवार ने प्राप्त किया।
*वात्सल्य वारिधि आचार्य 108 श्री वर्धमान सागर जी महाराज ससंघ गमेर बाग में विराजित है, जिनका विशेष प्रवचन युवाओं के लिए संस्कारित जीवन विषय पर गमेर बाग मे कल दिनांक 4.6.23 रविवार को सुबह 7:30 बजे होगा आप सभी से अनुरोध, अधिक से अधिक संख्या मे युवा वर्ग सपरिवार पधारे।
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